वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-यूपी में होने वाले निकाय चुनाव बसपा के लिए कड़ी चुनौती बन गए हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी का हर फॉर्मूला फेल हो चुका है। ऐसे में पार्टी साफ छवि वाले नेताओं पर ही दांव लगाएगी।
नगर निकाय चुनाव बसपा के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि पार्टी इसमें अपनी परफार्मेंस बेहतर करने का प्रयास करेगी। वर्ष 2017 में प्रदेश के 16 नगर निगमों में से 14 पर भाजपा का कब्जा था, जबकि मेरठ और अलीगढ़ में बसपा के महापौर थे।
इस बार के विधानसभा चुनाव में जिस तरह बसपा की दुर्गति हुई उससे निकाय चुनाव में बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। हालांकि निकाय चुनाव के समीकरण अलग है। अनुसूचित जाति के साथ अन्य वोटरों को जोड़कर बसपा सोशल इंजीनियरिंग करती रही है पर अब यह फार्मूला फेल हो चुका है।
ऐसे में वह क्या करे, क्या न करे इसी पर विचार कर रही है। वहीं, पार्टी सिपहसालार हर उम्मीदवार को सुप्रीमो से मिलाना चाहते हैं, लेकिन सुप्रीमो का कहना है कि साफ छवि वालों को ही टिकट मिलेगा। गलत व्यक्ति को लाने पर कोऑडिनेटर पर ही एक्शन होगा।